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मुद्गलः
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मुद्नल
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ମୁଦ୍ଗଲ ଋଷି
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মুদগল
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ਮੁਰਦੱਲ
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मुद्गल
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મુદ્રલ
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मण्डल १० - सूक्तं १०२
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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दशाक्षरमन्त्रस्तोत्रम् - मुद्गल उवाच । असच्छक्तिश...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५५४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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ब्रह्मकाण्डः - अध्यायः ९
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - चतुर्दशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २१३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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बृहद्देवता - अष्टमोऽध्यायः
बृहद्देवता संस्कृत भाषेतील छंदशास्त्र ह्या विषयातील शौनकऋषींनी रचलेला एक प्राचीन ग्रंथ आहे. The Bruhaddevatā (Sanskrit: बृहद्देवता), is a metrical Sanskrit work, traditionally ascribed to Shaunaka.
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हरिवंश पर्व - द्वात्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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अथ श्रीगायत्र्युपनिषत्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा । वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥ अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अनुषङ्गापादः - अध्यायः ३२
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः ५९
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १४५
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २९४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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बृहद्देवता - षष्ठोऽध्यायः
बृहद्देवता संस्कृत भाषेतील छंदशास्त्र ह्या विषयातील शौनकऋषींनी रचलेला एक प्राचीन ग्रंथ आहे. The Bruhaddevatā (Sanskrit: बृहद्देवता), is a metrical Sanskrit work, traditionally ascribed to Shaunaka.
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ३७
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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